जिले के किसान और पत्रकार राजेश सिसनोरिया ने बताया कि सोयाबीन फसल की बुवाई के समय कुछ इलाकों में ठीक-ठाक बारिश हुई, लेकिन कुछ इलाकों में नही होने के फसल बुवाई देर से हुई।
लगातार बारिश से सोयाबीन की मुख्य फसल हो रही बर्बाद।
कर्मचारी और राजनेता सभी को तनख्वा मिलती है नुकसान में है तो सिर्फ किसान- राजेश सिसनोरिया
शाजापुर। मध्यप्रदेश के कई इलाके मौसम की मार झेल रहे हैं। कहीं अतिवृष्टि से किसान बर्बाद हुए तो कहीं सूखे ने हालात बिगाड़ रखे हैं। बारिश की अनियमितता से फसलें खराब होने की नौबत आ गई है। मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र आसपास के इलाकों में सोयाबीन की फसल 40 से 50 फीसदी तक खराब हो चुकी है। वहीं प्रदेश के दूसरे इलाको से भी सोयाबीन के बर्बाद होने की खबर है।
जिले के किसान और पत्रकार राजेश सिसनोरिया ने बताया कि सोयाबीन फसल की बुवाई के समय कुछ इलाकों में ठीक-ठाक बारिश हुई, लेकिन कुछ इलाकों में नही होने के फसल बुवाई देर से हुई। ऐसे में सोयाबीन फसल की बुवाई क्षेत्र में आगे पीछे रही। फिर बारिश ने कुछ जगह साथ दिया तो कुछ जगह फिर सूखा होने से फसल नही बैठ पायी। अब जिन इलाकों में फसल ठीक ठाक विकसित हो रही थी और फसल पक गई थी। वहा इस महीने लगातार बारिश हो रही है। ऐसे में किसानों की खड़ी फसल बर्बाद हो गई। खेतो में पानी भरा हुवा है ना फसल काटने में आ रही ना समेटने में। पिछले 2 वर्ष से कोरोना महामारी और सोयाबीन फसल नष्ट होने से किसान बहुत परेशान है इस वर्ष भी उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है ऐसे में सरकार यदि उद्योगपतियो का करोड़ो का लोन माफ कर सकती है तो किसानों को भी अच्छा मुवावजा दे सकती है। कर्मचारियों और नेताओं को तनख्वा मिल रही है इसलिए उन्हें किसानों का दर्द समझ नही आएगा। जिन किसानों ने आर्थिक तंगी और अनियमित मुवावजा वितरण की वजह से फसल बीमा नही कराया उन्हें भी सरकार को मुवावजा देना चाहिए।
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